बहराइच। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक केशव कुमार चैधरी ने शिक्षण संस्थाओं को निर्देश दिया है कि अधोमानक वाहनों का संचालन पाये जाने पर सम्बन्धित शिक्षण संस्थाओं के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी। शिक्षण संस्थाओं को सख्त हिदायत दी गयी कि बच्चों के परिवहन में लगे वाहन मानक के अनुसार बिल्कुल फिट होने चाहिए तथा वाहन चालकों तथा वाहनों पर तैनात अन्य स्टाफ के चरित्र का वेरीफिकेशन भी कराया जाय। शिक्षण संस्थाओं को यह भी सुझाव दिया गया कि अच्छा कार्य करने वाले वाहन चालकों को पुरस्कृत कर उनका उत्साहवर्धन भी करें ताकि दूसरे वाहन चालक व अन्य स्टाफ भी गुडवर्क के लिए प्रेरित हों। डीएम व एसएसपी ने शिक्षण संस्थाओं को यह भी निर्देश दिया कि बच्चों के परिवहन के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले वाहनों में ओवर स्पीडिंग व ओवर लोडिंग पर पूरी तरह से सर्तकता बरती जाय तथा इस सम्बन्ध में वाहन चालकों को संस्थान की ओर से स्पष्ट निर्देश भी दे दिये जायें। डीएम ने बैठक में मौजूद शिक्षण संस्थाओं को बताया कि राज्य सरकार के संज्ञान में यह बात आयी है कि स्व-वित्त पोषित सभी स्तर के विद्यालय एवं सभी बोर्डों के विद्यालय अपने छात्रों के संरक्षकों से परामर्श के बिना शुल्क वृद्धि कर रहे है। जिसके परिणाम स्वरुप छात्रों व संरक्षकों को अनावश्यक वित्तीय भार का सामना करना पड़ता है, यह स्थिति लोक हित में नहीं है। विद्यालयों को शुल्क संग्रह की प्रकिया खुली, पारदर्शी और उत्तरदायी रखने के साथ-साथ प्रवेश शुल्क विद्यालय में नवीन प्रवेश के समय ही लिये जाने के निर्देश दिये गये। वैकल्पिक शुल्कों यथा परिवहन, बोर्डिगं, मेस या डाईनिंग, शैक्षिक भ्रमण, अन्य समान क्रियाक्लाप, किसी छात्र को पुस्तकें, जूते मोजे या यूनीफार्म आदि किसी विशिष्ठ दुकान से लेने को बाध्य नहीं किया जायेगा। विद्यालयों द्वारा पाँच निरन्तर शैक्षणिक वर्षों के भीतर विद्यालय में ड्रेस परिवर्तन नहीं किया जायेगा। यदि अपेक्षित है तो इसके लिये जनपदीय समिति से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा। बैठक के माध्यम से विद्यालयों को यह भी निर्देश दिया गया कि विद्यालय प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में प्रवेश प्रारम्भ होने के 60 दिन पूर्व सूचना पट्ट पर विवरण प्रकाशित करेंगें। विकास निधि कुल आय की 15 प्रतिशत से अनधिक विकास निधि के रूप में अन्तरित नहीं की जा सकती है। विद्यालय के सम्बन्ध में सामान्य जानकारी जैसे प्रवेश नीति, पूर्ववर्ती वर्ष, चालू वर्ष और आगामी वर्ष के लिये शुल्क एवं निधि संरचना, विद्यालय में छात्रावास, खेल, पाठ्यचर्या सम्बन्धी क्रियाक्लापों सहित सुविधाओं का विवरण, विद्यार्थी अध्यापक अनुपात का विवरण, अध्यापक का वेतन विवरण, सम्पूर्ण शैक्षिक कलेण्डर को प्रदर्शित करना होगा। शिक्षण संस्थाओं के जिम्मेदारान को यह भी जानकारी दी गयी कि जिला शुल्क नियामक समिति को यह अधिकार होगा कि किसी छात्र या संरक्षकों या अभिभावक, अध्यापक एसोसिएशन की ओर से यदि कोई शिकायत प्राप्त होती है तो समिति जॉच करने के पश्चात अर्थदण्ड अधिरोपित करने के साथ-साथ मान्यता/सम्बद्वता समाप्त किये जाने की संस्तुति कर सकती है। जिला शुल्क नियामक समिति को यह अधिकार होगा कि प्रथम बार उल्लंघन की शिकायत पर रू. 01 लाख, द्वितीय बार उल्लंघन होने पर रू. 01 से 05 लाख का अर्थदण्ड अधिरोपित कर सकती है। जबकि तीसरी बार उल्लंघन की शिकायत पर सम्बन्धित शिक्षण संस्थान की मान्यता/सम्बद्वता समाप्त किये जाने की संस्तुति की जा सकती है। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना, जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. चन्द्रपाल सहित अन्य अधिकारी तथा शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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