लखनऊ।यहां रिसालदार पार्क में भारतीय किसान यूनियन वर्मा की बैठक को संबोधित करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय किसान यूनियन वर्मा के राष्ट्रीय संयोजक भगत सिंह वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार चीनी मिल मालिकों से मिलकर लगातार गन्ना किसानों का शोषण कर रही है। प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी मूल्य तो दूर लागत मूल्य भी सरकार नहीं दिला रही है जिसके कारण प्रदेश के गन्ना किसान लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हैं। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि इस बार गन्ने की लागत एक कुंटल करने पर घ्450 कुंटल आई है। जबकि सरकार गन्ना किसानों को चीनी मिलों से घ्350 कुंटल रेट दिला रही है। जबकि एक -एक चीनी मिल को 200- 200 करोड रुपए का लाभ हुआ है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार चीनी मिलों से समय से घ्350 कुंटल का भी भुगतान नहीं दिला पा रही है जिससे प्रदेश के गन्ना किसान भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि शुगर कंट्रोल ऑर्डर 1966 के अनुसार जो चीनी मिले 14 दिन के अंदर गन्ना किसानों को गन्ना भुगतान नहीं करती हैं उन्हें 15ः वार्षिक दर से गन्ना किसानों को ब्याज का भुगतान करना चाहिए। भगत सिंह वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश की 120 चीनी मिलों पर गन्ना सीजन 2021-22 का आज तक 11 हजार करोड़ रुपए गन्ना भुगतान और पिछले वर्षों में प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा देरी से किए गए गन्ना भुगतान पर लगा ब्याज 10 हजार करोड़ रुपए बकाया है जिसे दिलाने के लिए प्रदेश सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि प्रदेश के गन्ना किसानों को आसानी से गन्ने का लाभकारी रेट घ्600 कुंटल दिया जा सकता है। एक कुंतल गन्ने से चीनी मिलों में 12 किलोग्राम से लेकर 14 किलोग्राम तक चीनी बन रही है। 5 किलोग्राम शिरा बन रहा है 30 किलोग्राम बगास खोई बन रही है साडे 4 किलोग्राम परेसमढ मैली बन रही है। जिसमें शीरा सबसे महत्वपूर्ण है यह शीरा नहीं हीरा है। 5 किलोग्राम शीरा से एक बल्क लीटर अल्कोहल बनता है जब यह उत्तर प्रदेश में देसी शराब में प्रयोग होता है तो सरकार के खाते में घ्700 एक्साइज ड्यूटी के रूप में सीधा चला जाता है और जब यह अंग्रेजी शराब में प्रयोग होता है उस समय घ्1000 से लेकर घ्3000 तक एक्साइज ड्यूटी के रूप में प्रदेश सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त होता है इस प्रकार से एक कुंतल गन्ने से सरकार चीनी मिल मालिक घ्2000 से भी अधिक वसूल करते हैं इसके बावजूद भी प्रदेश के गन्ना किसानों को खोई के दाम भी सरकार नहीं दिला पा रही है जिसके कारण प्रदेश के गन्ना किसान भारी आर्थिक संकट में है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि वर्ष 1967 में चैधरी चरण सिंह जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होते थे उस समय गन्ने का रेट घ्12 कुंटल होता था उसी समय प्राइमरी स्कूल के अध्यापक की नौकरी घ्70 प्रति महीना थी जो आज 1000 गुना बढ़कर घ्70000 प्रति महीना से भी अधिक हो गई है इस हिसाब से गन्ने का रेट घ्12000 कुंटल होना चाहिए। गन्ना उत्तर प्रदेश और देश की आर्थिक रीढ़ है जिससे प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है इसलिए सरकार गन्ना किसानों को कम से कम गन्ने का लाभकारी रेट घ्600 कुंटल दिलाने का काम करें। बैठक की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन वर्मा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेंद्र चैधरी ने की और संचालन राष्ट्रीय महासचिव रविंद्र चैधरी गुर्जर ने किया। बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद राव रजा प्रदेश महामंत्री आसिम मलिक प्रदेश सचिव विनोद सैनी सरदार गुरविंदर सिंह बंटी सुधीर चैधरी रविंद्र प्रधान नीरज सैनी प्रधान वसीम जहीर पुर हाजी साजिद ने भाग लिया।
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