नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच होने वाली बैठक में भारत आर्थिक भगोड़ों विजय माल्या एवं नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठा सकता है। भारतीय बैंकों के साथ हजारों करोड़ का घोटाला करने वाले दोनों ब्रिटेन में मौजूद हैं। भारत उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर चुका है, लेकिन वे कानूनी दांवपेंचों का सहारा लेकर अभी तक बचते आ रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि भारत की तरफ से बातचीत में इस मुद्दे को उठाया जा सकता है। भारत यह अनुरोध कर सकता है कि माल्या और नीरव मोदी के जो भी कानूनी मामले लंबित हैं, उनका ब्रिटेन में त्वरित गति से निपटारा हो, ताकि उन्हें जल्द से जल्द भारत को सौंपा जा सके। विजय माल्या और नीरव मोदी की अपीलें ब्रिटेन में कई स्तरों पर खारिज हो चुकी हैं, लेकिन फिर भी वे प्रत्यर्पण रोकने के लिए नए-नए कानूनी दांवपेंच अपना रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की महत्वपूर्ण एवं सार्थक यात्रा को लेकर आशान्वित है, जिसमें रोडमैप 2030 सहित द्विपक्षीय, बहुपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। बागची ने कहा कि हम उनकी यात्रा को लेकर आशान्वित हैं। मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन का 22 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक स्वागत किया जाएगा। उनका राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर जाने और पुष्पांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम है। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन हैदराबाद हाउस में बैठक करेंगे। जॉनसन विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मिलेंगे। दोनों देशों के बीच कुछ समझौता ज्ञापन का भी आदान प्रदान किया जा सकता है। बता दें कि ब्रिटेन के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि 1992 से है, लेकिन इसकी जटिलताओं के चलते अपराधियों को वापस लाने में बहुत कम सफलताएं मिल पाती हैं। इसलिए समझा जाता है कि भारत इस मामले में राजनयिक हस्तक्षेप करने के पक्ष में है। इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दो प्रधानमंत्रियों के बीच किस मुद्दे पर क्या बात होती है, यह कहना कठिन है। लेकिन जो भी बातचीत होगी, उसके नतीजों से अवगत कराया जाएगा।
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