
फतेहपुर। श्रीराम जन्मोत्सव को लेकर देर रात से ही भक्तों में गजब का उत्साह देखा गया। बारह बजने के कुल पल बाकी थे सभी लोग मंदिरों की ओर दौड़े चले आ रहे थे। क्या बच्चे, क्या बूढ़े सभी को बस दशरथ नन्दन के दर्शन की ललक थी। हर मंदिर ऐसा लग रहा था मानो अवधपुरी हो। घड़ी की सुई में जैसे ही बारह बजे श्रीराम के जय-जयकारों व घंटा, घड़ियाल की गूंज से मंदिर गूंज उठे। हर छोटा बड़ा बधाई गीत गाने लगा। महिलाओं ने ताली बजाकर जोर-जोर से कीर्तन गाकर अपनी खुशी का इजहार किया। ये नजारा सभी मंदिरों में दिखाई दिया।भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के लिए शहर के मंदिरों को अयोध्या नगरी जैसा बना दिया गया था। रामनवमी के दिन कई जगह फूलों की सजावट की गई थी। शहर के कालिकन मंदिर में भक्तों का सुबह से ही आने का सिलसिला शुरू हो गया था। महिलाएं अपने बच्चों को भी साथ लेकर मंदिर पहुंची। दोपहर होते-होते पूरा प्रांगण भक्तों से खचाखच भर गया था। जन्मोत्सव का समय होते ही ऐसी जयकारों के साथ सभी नर-नारी झूम उठे। रामलला की पुजारियों ने विधि-विधान से स्नान कराने के बाद उन्हें जन समूह के दर्शन के लिए जैसे ही मंदिर के कपाट खोले कि चारों ओर से फूलों की बारिश होने लगी। आरती व भोग लगाने के पश्चात सभी को प्रसाद वितरित किया गया। रामनवमी को लेकर सुबह से ही हर घर में राम जन्म की तैयारियां की गई थी। भगवान के प्रकट होने की खुशी में घरों में पकवानों का भोग लगाने के बाद प्रसाद वितरण किया गया। महिलाओं ने ढोल-मंजीरों की थाप के बीच बधाई दी और सोहर गाए। इसी अवसर पर तांबेश्वर धाम में भी भोर से ही दर्शनार्थियों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। कुल मिलाकर श्रीराम जन्मोत्सव की धूम हर जगह दिखाई दी। सभी भक्त भगवा रंग के कपड़े पहने दिखाई दिए। पूरा शहर अवधपुरी के रंग में रंग गया। सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से पुलिस प्रशासन बेहद सक्रिय रहा। शहर के सभी चैराहों में पुलिस की विशेष चैकसी रही। सभी चैराहों पर जवान मुस्तैद रहे। जो आने-जाने वाले भक्तों को सुरक्षा का एहसास कराते रहे।