कन्या पूजन के साथ नवरात्रि का समापन

जौनपुर। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री का श्रद्धालुओं ने पूजन दर्षन किया और व्रत का पारण किया तथा कन्या पूजन कराया, इसी के साथ नवरात्र का समापन हो गया। मां सिद्धिदात्री की पूजा देवों के देव महादेव शिव भी करते हैं। भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी की उपासना किया था और मां सिद्धिदात्री के प्रभाव से ही अर्द्धनारीश्वर कहलाए। भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी की उपासना कर सभी सिद्धियां प्राप्त की, इसके प्रभाव से भगवान शिव का स्वरूप अर्द्धनारीश्वर का हो गया। कमल पर विराजमान होने के कारण मां सिद्धिदात्री को कमला भी कहा जाता है। मां की विधिविधान से पूजा अर्चना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं एवं भक्तों को यश, बल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को माता सिद्धिदात्री से ही सिद्धि की प्राप्ति हुई है। ब्रह्मांड की रचना करने के लिए मां पार्वती ने भगवान शिव को शक्ति दी, जिस कारण माता पार्वती का नाम सिद्धिदात्री पड़ा। मां सिद्धिदात्री सिद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है। नवरात्र में नवमी पर मां सिद्धिदात्री को खीर, हलवा-पूरी का भोग लगाया जाता है। मां को शहद अर्पित किया जाता है। नवमी पर श्रद्धा के साथ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें उपहार दें। नवदुर्गा मन्दिर में इस अवसर पर कन्या भोज कराया गया। मड़ियाहूं तहसील क्षेत्र कोहरड़ गांव में माँ दुर्गा परमेश्वरी मंदिर पर रविवार को कन्या पूजन के बाद कन्याओं को भोजन करवाया गया। इस दिन कन्याओं को भोजन करवाना सबसे शुभ फलदायी माना जाता है। जिसमें 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष के कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नेवढ़िया थाना क्षेत्र के जय मां दूर्गा परमेश्वरी मंदिर के कोहड़र, लगधरपुर में हवन पूजन कर मां दुर्गा के नौ रुप समान नौ कन्याओं के पैरों को धोकर, चुनरी चढ़ाकर प्रसाद खिलाया गया। मंदिर परिसर में नौ दिनों तक सुबह-शाम मां दूर्गा की पूजा पाठ व आरती कर हवन पूजन वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कराया गया। जिसके बाद हर वर्ष की बात स्थापना दिवस मना कर अखण्ड रामायण पाठ एवं विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ। प्राचीन इस मंदिर की मान्यता है कि मंदिर में पूजा पाठ करने वाली महिला हो अथवा पुरुष सभी 9 दिन का व्रत रखकर अखंड उपवास का पालन करते हैं। जिसके पश्चात रामनवमी के दिन हवन पूजन के साथ अपनी व्रत को तोड़ती हैं। मां भगवती के बाल स्वरूप रूपी नौ कन्याओं को भोजन कराती है।