जौनपुर। अन्नदाताओं को बेसहारा पशुओं से निजात का फरमान हवा-हवाई है। शासन के निर्देश पर पशुओं को पकड़ने के लिए बहुत पहले अभियान चलाया गया, लेकिन अभी भी झुंड के झुंड पशु खेतों में पहुंचकर किसानों के अरमानों की फसल चैपट कर रहे हैं। इतना ही नहीं सभी न्याय पंचायतों में अस्थाई गो-आश्रय स्थल भी नहीं खुला। बर्बादी की कगार पर पहुंचे अन्नदाताओं का धैर्य जवाब दे रहा है।मुख्यमंत्री का सख्त निर्देश है कि बेसहारा पशु खेतों और सड़कों पर नहीं दिखने चाहिए। सबको अस्थायी या स्थायी गोआश्रयों में पहुंचा दिया जाए। सरकार ने इसके लिए विस्तृत गाइड लाइन भी जारी की। नोडल अधिकारियों और कैटिल कैचर की उपलब्धता का रोस्टर भी जारी किया था। निर्धारित तिथि बीत गई न तो बेसहारा पशु पकड़े गए और न ही अस्थाई गो आश्रय केंद्रों का ही निर्माण हो पाया। व्यवस्था न होने के कारण बड़ी संख्या में विचरण करने वाले पशु समस्या का पर्याय बने हुए हैं। यह पशु झुंड में खेतों में पहुंचकर फसल को पलभर में चट कर रहे हैं। फरियाद व शिकायत करते-करते आजिज किसानों का धैर्य जवाब दे रहा है।
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