आदित्य ठाकरे ने स्थानीय महिला नेताओं की उपलब्धियों पर ध्यान देने का किया आह्वान

लखनऊ।रणनीतिक परोपकारी संगठन दासरा ने जनआग्रह सेंटर फॉर सिटिजनशिप एंड डेमोक्रेसी के साथ मिलकर दासरा परोपकार सप्ताह के 13वें संस्करण के दौरान डेयर टू लीडरूएम्पावरिंग लोकल वुमन लीडर्स फॉर इनक्लूसिव सिटीज नामक संयुक्त सत्र का आयोजन किया। यह सत्र भारत में शहरों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महिला पार्षदों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर केंद्रित था। सत्र में आदित्य ठाकरे (कैबिनेट मंत्री), प्रो. एमवी राजीव गौड़ा (पूर्व सांसद, चेयरमैन, एआईसीसी रिसर्च), एम अनिल कुमार (महापौर, कोच्चि-सीपीआईएम), परवीन भानु (पूर्व पार्षद, बेल्लारी-इंडियन नेशनल कांग्रेस), पायल किशोरभाई सकारिया (पार्षद, सूरत नगर निगम ), रोहन चंदेल (पार्षद, देहरादून नगर निगम) ने भाग लिया और धन्या राजेंद्रन (पत्रकार और सह-संस्थापक, द न्यूज मिनट) ने इस सत्र का संचालन किया। सत्र के दौरान, आदित्य ठाकरे,कैबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र सरकार, ने जनआग्रह और दासरा द्वारा तैयार ष्सिटी लीडर्स- ए सिस्टेमैटिक प्रोग्राम टू एम्पावर इलेक्टेड लीडर्सष् नाम से एक रिपोर्ट पेश की। यह रिपोर्ट क्षमता निर्माण, पार्षदों के लिए सिस्टेमैटिक लीडरशिप निर्माण के लिए अवसर और जेंडर लेंस के साथ लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम की नींव रखने की जरूरत पर बल देती है। सत्र में उन चुनौतियों का उल्लेख किया गया, जिनका सामना 4700 से अधिक भारतीय शहरों के 87000 से ज्यादा पार्षदों का करना पड़ रहा है। ये पार्षद पहले पायदान पर नागरिकों और सरकार के बीच एक सेतु हैं और इस क्षमता में ये नागरिकों के सबसे ज्यादा करीब हैं। जल आपूर्ति, सार्वजनिक परिवहन, आवास, सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए वे जिम्मेदार हैं। हालांकि, इन पार्षदों को उनके लिए निर्धारित प्रक्रियाओं और तंत्र को समझने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सिटी लीडर्स रिपोर्ट में कहा गया है कि 68 प्रतिशत पार्षदों का मानना है कि उनकी भूमिका स्पष्टरूप से परिभाषित नहीं है, 43 प्रतिशत का मानना है कि उनके लिए उपलब्ध जानकारी अधिकारियों के समक्ष अपनी बातें रखनें के लिए अपर्याप्त है। कुल पार्षदों में से, 46 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिनमें से अधिकांश को परिवार और समाज से समर्थन न मिलने के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।