खागा/फतेहपुर। देश को आजाद कराने के लिए छिड़े संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर क्रांतिकारी श्री गणेश शंकर विद्यार्थी को उनके बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर याद करते हुए बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय व स्वयंसेवकों ने एक बार फिर से जनपद में पत्रकारिता विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु मांग दोहराते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा।राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वह भीड़ से अलग थे। परिस्थितयां कितनी भी विषम रही हों, वह कभी घबराए नहीं। पत्रकारिता जगत में उनका नाम अलग और सम्मानपूर्वक लिया जाता है। विद्यार्थी जी का जन्म 26 अक्टूबर 1890 को अतरसुइया में हुआ था। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में ही अपनी पहली किताब हमारी आत्मोसर्गता लिख डाली थी। गणेश शंकर विद्यार्थी जी अपने जीवनकाल में पांच बार जेल गए। गणेश शंकर विद्यार्थी ने किसानों एवं मजदूरों को हक दिलाने के लिए जीवनपर्यन्त संघर्ष किया। आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। वह छात्र जीवन से ही वामपंथी आंदोलनों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। जब अंग्रेजों द्वारा भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने की देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। इससे घबराकर अंग्रेजों ने देश में सांप्रदायिक दंगे भड़का दिए। वर्ष 1931 में पूरे कानपुर में दंगे हो रहे थे। भाई-भाई के खून से होली खेलने लगा। सैकड़ों निर्दाेषों की जान चली गई। स्वयं सेवकों ने विद्यार्थी जी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। समिति के खागा जिलाध्यक्ष अवधेश मिश्रा, अजय सिंह, आयुष सिंह, भाजपा मंडल अध्यक्ष खागा धर्मेंद्र सिंह, विमलेश पाण्डेय, अमित सिंह, आलोक सिंह, अंशु सिंह, प्रिंसी सिंह, हर्षिता सिंह, यश शुक्ला, विनय कुमार आदि स्वयंसेवक रहे।
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