नई दिल्ली । क्या आपको पता है कि होम्योपैथिक दवाओं को सिर्फ जीभ पर रखकर ही क्यों चूसा जाता है। दरअसल, होम्योपैथिक के विशेषज्ञ इसके पीछे विज्ञान के तर्क को आधार बताते हैं। उनके अनुसार होम्योपैथिक दवाइयों का सीधा असर तंत्रिका तंत्र पर होता है जो जीभ के रास्ते ही तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है।म्योपैथिक डॉक्टर रितु राय बताती हैं कि होम्योपैथिक दवाएं सीधे हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करने के लिए बनी है। चूंकि जीभ से पूरा नर्वस सिस्टम जुड़ा हुआ है, इसलिए हम इन दवाइयों को जीभ पर रखते हैं। अगर हम इसे जीभ पर नहीं रखेंगे तो यह सही से काम नहीं करेगी। जीभ पर रखने से दवाई का असर पूरे नर्वस सिस्टम पर एक साथ हो जाता है। जीभ से दवाई नर्वस सिस्टम में जब तक न घुसे या दवाई के साथ कुछ और चीजों का असर न हो, तब तक किसी और चीज को लेने की मनाही है। इसलिए होम्योपैथिक दवाइयों के खाने से आधे घंटा पहले और आधा घंटे बाद में कुछ भी खाने-पीने की अनुमति नहीं होती।इस मामले में डॉ प्रांजली श्रीवास्तव ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया है।डॉ प्रांजली कहती हैं, होम्योपैथिक दवाइयों का एक्शन मुंह से शुरू होता है। जीभ में सबसे ज्यादा नर्व के सेल्स जुड़े होते हैं। इसलिए होम्योपैथिक के डॉक्टर दवाइयों को जीभ पर रखकर चूसकर खाने के लिए कहते हैं ताकि पूरे जीभ पर दवाइयों का रसायन फैल जाए और प्रत्येक नर्व सेल्स के अंदर घुस जाए। डॉ प्रांजली कहती हैं, जहां-जहां शरीर में समस्या हैं, उन अंगों के पास यहीं से नर्व के माध्यम से दवाई पहुंचती हैं। हालांकि कुछ लीक्विड फॉर्म वाली होम्योपैथिक दवाइयों को जीभ से नहीं ली जाती है। इसे पानी के साथ ली जाती है। होम्योपैथिक की दवाई पर जीभ पर रखी जाती है तब दवाई में मौजूद रसायन जीभ के नीचे म्यूकस मैंब्रेन के संपर्क में आता है। यह रसायन संयोजी उत्तक तक फैल जाता है। इसके नीचे इपीथेलियम सेल्स होते हैं जिनमें असंख्य नलिकाएं होती है। दवाई में मौजूद रसायन इन्ही नलिकाओं के माध्यम से रक्त परिसंचरण तंत्र में पहुंच जाता है। होम्योपैथिक दवाइयों का मकसद रसायन को सीधे प्रभावित अंगों तक पहुंचाना होता है। जब किसी अंग्रेजी दवाई को हम खाते हैं तो यह पहले आंत में जाती है।यहां ब्लड सर्कुलेशन में आने से पहले यह लिवर के संपर्क में होती है। इसमें समय भी लगता है और अन्य अंग भी प्रभावित होता है। लेकिन होम्योपैथिक दवाई सीधे ब्लड सर्कुलेशन में पहुंचती है। इसलिए तेज गति से प्रभावित अंगों तक पहुंचती है। अन्य दवाइयों के विपरीत यह सिर्फ सलेवरी एंजाइम के संपर्क में आती है। इसलिए इसका अन्य अंगों पर साइड इफेक्ट नहीं होता। बता दें कि होम्योपैथिक चिकित्सा का सिद्धांत शरीर को खुद सही करने पर जोर देता है। होम्योपैथिक चिकित्सा में पौंधे और खनिज पदार्थो जैसी कुदरती चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन चीजों से बहुत छोटे-छोटे पार्टिकल में दवाई तैयार की जाती है। ये चीनी के दाने से थोड़ा ज्यादा बड़ी होती हैं। इन दवाइयों को जीभ पर रखकर चूसा जाता है।
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