सरकार की भयानक भूलों से चीन-पाकिस्तान के हमले का खतरा: राहुल

नयी दिल्ली | कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर बुधवार को आरोप लगाया कि वह सामंती मानसिकता के साथ शासन करके देश को कमजोर कर रही है और कूटनीतिक मोर्चों पर उसकी एक के बाद एक भयानक चूक के कारण देश पर चीन और पाकिस्तान के आक्रमण का खतरा आसन्न है। गांधी ने यहां लोकसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि देश खतरे में है और ये खतरा अंदर से भी है और बाहर से भी। वह देश पर खतरों को देखकर बहुत परेशान हैं।कांग्रेस नेता ने अपने करीब पौन घंटे के भाषण में कहा कि वह सरकार को सुझाव दे रहे हैं कि वह हमारी बात सुने एवं हमारा उपयोग करे क्योंकि हमारे पास अनुभव भी है और समझ भी। उन्होंने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह सलाह एवं संवाद की भावना की बजाय सामंतवादी भावना से शासन कर रही है और पेगासस को शासन का उपकरण बना रखा है। गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश की बुनियाद को कमजोर कर दिया है। हमारे संस्थानों में भाषा, संस्कृति, खानपान हर चीज़ को लेकर विभाजन पैदा कर दिया है। इसी हिन्दुस्तान में अब नौजवानों को एक भी रोजगार नहीं है। उन्होंने सत्तापक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप खुद से पूछिये कि इस बार गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर कोई नेता क्यों नहीं आया।कांग्रेस नेता ने कहा कि हम पूरी तरह से अलग थलग पड़ गये हैं। श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन हर तरफ से हम घिर चुके हैं और हमारे विरोधी इस बात को जानते हैं। उन्होंने कहा कि चीन की बहुत साफ योजना है। चीन क्या करने वाला है, यह उसे भलीभांति पता है। उन्होंने कहा कि जब हम शासन में रहे तो हमारी नीति थी कि चीन एवं पाकिस्तान एकसाथ नहीं आने पायें। लेेकिन आपने उन्हें एक पाले में लाकर खड़ा कर दिया। गांधी ने कहा, “मैं साफतौर पर देख सकता हूं कि चीन क्या करने वाला है और उसकी बुनियाद हमारी कुछ उन भयंकर चूकों के कारण डोकलाम और फिर लद्दाख में दिखायी दी जो हमने जम्मू कश्मीर में की। यह भारत पर एक बहुत ही गंभीरतम खतरा है।” उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान एवं चीन एक एकीकृत खतरा बन गया है। उनके हथियारों की खरीद और बयानों से कूटनीतिक सरगर्मियों को देखने से साफ जाहिर हो रहा है। हमने बहुत बड़ी बड़ी गलतियां कीं हैं। यदि चीन की ओर से हमला होता है तो इसके जिम्मेदार आप होंगे।कांग्रेस नेता ने कहा कि हम अपना बचाव कर सकते हैं। एक देश होने के नाते आपको हमें सुनना होगा। हमारे पास अनुभव है और समझ भी है। आप हमारा उपयोग करें। देश अंदर से और बाहर से दोनों तरह से खतरे में है। इस बहुत खतरनाक परिस्थिति से वह बहुत परेशान हैं। उन्होंने सत्तापक्ष से कहा कि उनके विचार को भले ही कूड़ेदान में फेंक दें लेकिन वह देश को आगाह जरूर करेंगे।उन्होंने कहा कि सरकार ने दूसरी गलती यह की है कि भारत को लेकर विचार संविधान के अनुरूप नहीं है। संविधान में भारत को राज्यों का संघ बताया गया है ना कि एक राष्ट्र। यह स्थित मौर्य वंश के शासन काल में थी। सम्राट अशोक ने भी राज्यों के संघ के रूप में भारत पर शासन किया जिसमें संवाद एवं परामर्श प्रमुख तत्व था। लेकिन इस शासन में सामंतवादी सोच दिखती है जिसे हमने 1947 में उखाड़ कर फेंक दिया था।उन्होंने कहा कि आप भारत के लोगों को दबा कर शासन कभी नहीं कर सकते हैं। उन्हें इतिहास की जानकारी होनी चाहिए। भारत में हर राज्य की अलग संस्कृति है। यह शहंशाह होने की मानसिकता से शासन नहीं चल सकता है। संस्थानों पर एक विचारधारा का हमला एवं कब्जा होता जा रहा है। आप किसी की नहीं सुनते हैं।
इससे पहले गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण में देश के सामने तमाम रणनीतिक चुनौतियों गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र नहीं किया गया है। देश में दो हिन्दुस्तान बन गये हैं और उनके बीच खाई गहरी होती जा रही है। एक हिन्दुस्तान में कुछ लोगों की दौलत बढ़ती जा रही है और दूसरे हिन्दुस्तान में गरीबी और बेराेजगारी बढ़ती जा रही है। रेलवे की नौकरी के लिए युवाओं का कहीं कोई जिक्र नहीं है।उन्होंने कहा कि नौजवान रोजगार ढूंढ़ रहा है और सरकार नहीं दे पा रही है। पिछले तीन साल में साढ़े तीन करोड़ युवा बेराेजगार हो गये। वर्ष 2021 में बेरोजगारी की दर बीते 50 साल में सर्वाधिक रही। इसका कारण यह रहा कि नोटबंदी की गयी और फिर लघु एवं मध्यम उद्यमों तथा असंगठित क्षेत्र को ध्वस्त किया गया तथा इस क्षेत्र के लाखों करोड़ रुपए अरबपतियों को दे दिये गये। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासनकाल में 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से उबारा गया था और अब 23 करोड़ लोग फिर से गरीबी रेखा के नीचे आ गये हैं। गांधी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के औपचारिक सेक्टर में एकाधिकारवाद कोरोना के वैरिएंट की तरह से फैल रहा है। एक उद्याेग समूह को बंदरगाह, हवाईअड्डे, खानें, हरित ऊर्जा, गैस वितरण आदि पूरा का पूरा दे दिया गया तो दूसरे को पेट्रोकैमिकल्स, टेलीकॉम, रिटेल ई कॉमर्स दे दिया है। उन्होंने कहा कि यदि असंगठित क्षेत्र से लेकर सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत किया होता तो रोजगार सृजित हो जाते और समस्या नहीं आती। लेकिन मेड इन इंडिया इसलिए हो सकता क्योंकि एमएसएमई क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया गया है।कांग्रेस नेता ने कहा कि आप कितने ही नारे दे लें लेकिन रोजगार नहीं बढ़ रहे हैं। और दूसरे हिन्दुस्तान के लोग यह देख रहे हैं कि देश के सौ अमीरों के पास देश के 55 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर दौलत है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से कहेंगे कि लोगों को जोड़िये। पूरा धन सिर्फ पांच दस लोगों को मत दीजिए जो टीवी एवं सोशल मीडिया पर आपकी मार्केटिंग करते हैं।