सोनभद्र। रावट्सगंज नगर स्थित एक आवास पर शुक्रवार को श्री गणेश चतुर्थी वर्तीय महिलाओं ने पूजा अर्चना कर संतान की समृद्धि की कामना के पर्व पर माताएं दिनभर निर्जला व्रत रख काले तिल व गुड़ से बने लड्डू बनाती है। आज की शाम को छत और आंगन में आंटे से चैक बनाकर गाय के गोबर से गणेश जी का प्रतीक बनाकर पूजन करेंगी। रात 8.40 बजे चंद्रोदय के निर्धारित समय से एक घटे बाद तक पूजन चलेगा। पूजा स्थल पर दीपक जलाकर गौरी गणेश की पूजा कर संतान की सुख समृद्धि की कामना की जाएगी। आचार्य सौरभ भारद्वाज ने बताया कि माघ महीने की चतुर्थी संतान के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करती है। सकट को संकष्टी चतुर्थी और तिलकुट चैथ भी कहते हैं। बलि के पीछे मान्यता है कि संतान पर पड़ने वाली बला दूर हो जाए। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान श्री गणेश कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। आचार्य आचार्य सौरभ भारद्वाज ने बताया कि सकट का कथानक है कि मां पार्वती स्नान कर रही थीं और श्री गणेश को पहरेदारी के लिए लगा दिया था। भगवान शंकर आए और अंदर जाना चाहते थे, लेकिन गणेश ने जाने से रोक दिया। भगवान शंकर क्रोधित होकर उनका सिर काट देते हैं। मां पार्वती के विलाप के चलते भगवान शिव ने उन्हें हाथी का सिर लगा दिया। इसके बाद से श्री गणेश गजानन हो गए। उस दिन से सभी की रक्षा के लिए संकष्ठी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा होती है। यह भी है कथानकः आचार्य आचार्य सौरभ भारद्वाज ने बताया कि एक बार जब कुम्हार ने जब बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका। परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवां पक ही नहीं रहा है। राजा ने राजपुरोहित को बुलाकर कारण पूछा। जपुरोहित ने कहा कि हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा। जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। एक बुजुर्ग के इकलौते बेटे का नंबर आया तो उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब देकर कहा कि भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। सकट माता तेरी रक्षा करेंगी। इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया। आंवां पक गया और बुजुर्ग का बेटा जीवित व सुरक्षित था।तब से सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है। इस दौरान पुष्पा सिंह, प्रमिला त्रिपाठी, गुड़िया, सुनीता मोरिया, शालिनी गुप्ता, अंतिमा उपाध्याय आदि लोग मौजूद रहे।