हर माता-पिता अपने बच्चे को टॉपर बनते देखना चाहते हैं, ऐसे में बच्चों पर अनावश्यक पढ़ाई का बोझ डाला जाता है। स्कूल में पढ़ाई, फिर घर में और उसके बाद ट्यूशन में पढ़ने के लिए बच्चे के साथ जबरदस्ती की जाती है। यह भी सही है कि वर्तमान में अभिभावकों की प्राथमिकताएं बदली हैं और शिक्षा में भी बदलाव आया है ऐसे में बच्चे के लिए ऐसा माहौल बनाना बेहद जरूरी है ताकि वह हल्के माहौल में पढ़ाई कर सके और कोई दबाव भी महसूस न करे। घर में बच्चा ध्यान लगाकर पढ़ सकें। इसलिए माता-पिता को काम से समय निकालकर बच्चे की पढ़ाई का माहौल बनाने में भी ध्यान देना चाहिए।
माता-पिता की व्यस्तता से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। पहले यह समस्या महानगरों तक सीमित थी, लेकिन अब तो सभी शहरी क्षेत्रों में है। इसीलिए अब घरों में पढ़ाई का माहौल बना कर रख पाना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
पढ़ाई का बेहतर माहौल बनाने के लिए जरुरी नहीं कि आप बजट ही बिगाड़ लें और हर वह महंगा सामान खरीदना शुरु कर दें जिससे बच्चा पढ़ाई में लगा रहे। जरुरी है कि कम सामान और अच्छी पाठ्य सामग्री से बच्चे के कमरे को सजाया जाए और मेहमानों के या मिलने-जुलने वालों के आने-जाने का असर बच्चों पर न पड़े। आपका घर यदि एक या दो कमरों वाला है तो आपको सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने बच्चे की पढ़ाई का समय निर्धारित कर दें और उस समय में बच्चे को अनावश्यक डिस्टर्ब न करें। पढ़ाई के लिए उत्तम समय तो काम-काजी इंसान जब घर में न हो तब ही होता है, यदि पति-पत्नी दोनों ही कार्य से बाहर रहते हैं तो दोनों बराबरी से बच्चों को समय दें। बच्चे को पढ़ने के लिए एकांत वातावरण का आभास कराएं। ऐसे में बच्चा एकाग्रता के साथ पढ़ सकेगा। बच्चों की पढ़ाई में सबसे अधिक अवरोध तब होता है जब कोई मेहमान घर आता है। घर छोटा हो तो मेहमान का आना आपसे ज्यादा बच्चे को अखर सकता है, क्योंकि उसकी पढ़ाई डिस्टर्ब होती है। ऐसे में जरुरी हो जाता है कि बच्चे की पढ़ाई के समय मेहमान को आने का न्योता न दें। किसी भी प्रकार के काम से घर के बाहर जाना पड़े तो कोशिश करें कि बच्चे के स्कूल से घर आने के पहले ही आप काम खत्म कर घर पहुंच जाएं। बच्चे की पढ़ाई के समय आप भी उसके साथ पुस्तक या अखबार पढ़ें। इससे बच्चे पढ़ाई में लगे रहेंगे और माहौल भी शांत बना रहेगा। बच्चे के पढ़ने के समय में आप उसके पास कतई न सोएं। ऐसा करने से बच्चे में आलस्य आएगा। खास बात यह कि बच्चे को प्रलोभन देकर पढऩे को न बैठाएं, इससे बच्चे का मन भटकता रहेगा और पढ़ाई भी नहीं होगी। इस प्रकार ये ऐसे कुछ सुझाव हैं जो कि बच्चे की पढ़ाई में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।