लखनऊ । हजरत ख्वाजा मुहम्मद नबी रजा शाह अलमारूफ दादा मियाँ के 5 दिनों तक चलने वाले 114 वें उर्स का आज चैथा दिन था। आज सुबह बाद नमाजे फजर कुरआन ख्वानी का आयोजन हुआ जिसका सिलसिला कुल शरीफ की महफिल तक चला।सुबह साढ़े दस बजे 114 वें उर्स का पहला कुल शरीफ मनाया गया जिसमें दादा मियाँ के चाहने वालो ने अपनी अकीदत का इजहार किया। कुल शरीफ की महफिल में बांसा शरीफ के सज्जादानशीन सय्यद उमर अहमद बाँसवी शरीफ ने भी शिरकत की। इनके अलावा मुल्क के मुख्तलिफ मकामात से आये हुए जायरीन हजरात ने शिरकत की और मजार शरीफ पर चादर व फूल चढ़ाकर अपनी अकीदत का इजहार किया। दादा मियाँ का उर्से पाक हिंदुस्तान में गंगा जमुनी तहजीब का नमूना है जिसमे बिला तफरीक हर मजहब व मिल्लत के लोग शिरकत के लिए तशरीफ लाते हैं और दादा मियाँ के फैजान से माला माल होते हैं। दादा मियाँ के उर्स में आपस मे मिलजुल कर और भाईचारगी का सबक दिया जाता है। आज रात 1 बजे हल्क ए जिक्र की महफिल का आयोजन होगा और उसके बाद सारी रात महफिले समां का दौर चलता रहा। काल सुबह साढ़े दस बजे 114 वें उर्स का दूसरा कुल शरीफ का आयोजन होगा और शाम को 4 बजे संदल व गुस्ल शरीफ का आयोजन होगा।
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