प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरविन्द श्रीवास्तव मंत्री, नेता और अधिकारी सब पर प्रभावशाली हैं।मुख्य चिकित्सा अधिकारी योगी सरकार में स्वयं को सुरक्षित रखने में सफल रहे हैं। सीएमओ को फटकार लगाते-लगाते उच्चाधिकारी थककर हार मान गये पर उनकी कार्यशैली में कोई परिवर्तन नहीं आया। यही कारण है कि जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए मिली राशि का 75 फीसदी पैसा डंप पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग उसे खर्च ही नहीं कर पा रहा है। शासन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रतापगढ़ जिले को 87.32 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। 29 अक्टूबर 2021 की स्थिति तक जिले में इस बजट का मात्र 21.75 करोड़ रुपये खर्च किया जा सका है। यह राशि आंवटित कुल बजट का तकरीबन 25 फीसदी है। इस तरह से जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के अंतर्गत मिली राशि का 75 फीसदी पैसा अभी भी डंप पड़ा है। इसका उपयोग स्वास्थ्य विभाग नहीं कर पा रहा है।इसी प्रकार यूपी हेल्थ डैश बोर्ड में प्रतापगढ़ 18वें स्थान पर है। यह औसत से काफी नीचे है। जननी सुरक्षा योजना में जिले की प्रगति संतोषजनक नहीं है। इस योजना में चयनित लाभार्थियों में 4 प्रतिशत लाभार्थयों को 29 अक्टूबर तक लाभ नहीं दिया गया था। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना की प्रगति भी अच्छी नहीं है।प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में जिले में 294177 लोगों को गोल्ड कार्ड दिया गया है। इनमें से अभी तक महज 14528 लोगों को ही इससे लाभान्वित किया जा सका है।युष्मान भारत, आरसीएच पोर्टल, नियमित टीकाकरण, क्षय रोग नियंत्रण, परिवार नियोजन, हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर सभी की प्रगति खराब पायी गयी है। यह स्थिति तब है जब जिले के दो-दो जन प्रतिनिधि राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह और महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
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