दुशांबे । चीनी की महात्वाकांक्षाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ड्रैगन ने अफगानिस्तान में तालिबान शासित अस्थिरता से जूझ रहे युद्धग्रस्त देश पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं। चीन ताजिकिस्तान में एक सैन्य अड्डे का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में लेने जा रहा है। चीन लंबे समय से चुपचाप इस अड्डे का इस्तेमाल कई साल से कर रहा था। यही नहीं चीन ताजिक सेनाओं के लिए एक नया सैन्य अड्डा बनाएगा। ताजिकिस्तान की संसद ने चीन के पैसे से नए सैन्य अड्डे को बनाए जाने को मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है कि चीन ताजिकिस्तान के विशेष बलों के लिए इस सैन्य अड्डे का निर्माण करेगा। यह सैन्य अड्डा ताजिकिस्तान के उत्तरी गोर्नो-बदख्शान प्रांत में बनाया जाएगा जो पामीर के पहाड़ों से घिरा हुआ है। यह इलाका चीन के शिंजियांग और अफगानिस्तान के बदख्शान इलाके से सटा हुआ है। ताजिक संसद के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस सैन्य अड्डे में कोई भी चीनी सैनिक नहीं रहेगा।अफगान सीमा पर भारत का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा जो वरदान बन गया था जिसके चलते सैकड़ों भारतीयों को तालिबान से बचाया गया था। चीन अपना सैन्य केंद्र और ताजिकिस्तान के लिए नया सैनिक अड्डा ऐसे समय पर बना रहा है जब दुशांबे के साथ अफगानिस्तान के नए शासकों तालिबान के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। ताजिक राष्ट्रपाति इमोमाली रखमोन ने तालिबान की सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रपति इमोमाली का कहना है कि नई सरकार में ताजिक लोगों को व्यापक प्रतिनिधित्व दिया जाए जो आबादी में दूसरे नंबर पर हैं। उधर, तालिबान ने ताजिकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह उसके घरेलू मामले में हस्तक्षेप नहीं करे। यही नहीं तालिबान ने ताजिकिस्तान के आतंकी गुटों के साथ एक गठजोड़ कर लिया है जो राष्ट्रपति इमोमाली की सरकार को उखाड़ फेकना चाहते हैं। यही नहीं हाल ही में रूस ने ताजिक सीमा के पास बड़ा सैन्य अभ्यास किया था। रूस ने तालिबान को यह संदेश दिया था कि वह ताजिकिस्तान के साथ पूरी तरह से खड़ा है और करारा जवाब दिया जाएगा।चीन ताजिकिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। चीन ने ही ताजिकिस्तान की नई संसद का फ्री में निर्माण किया है। ताजिक सेनाओं के लिए बनाए जाने वाले अड्डे पर चीन एक करोड़ डॉलर खर्च करेगा। ताजिकिस्तान में तेजी से पकड़ बना रहे चीन की नजर भारत पर भी है जिसका यहां पर एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा है।
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