प्रतापगढ़। जिलाधिकारी डा0 नितिन बंसल ने समस्त जनपदीय नोडल अधिकारी, उपजिलाधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, खण्ड विकास अधिकारी, अधिशसी अधिकारी नगर पालिका/नगर पंचायत एवं समस्त उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी/ पशुचिकित्साधिकारी को निर्देशित किया कि 30 अक्टूबर तक विशेष अभियान चलाकर निराश्रित/बेसहारा गोवंशों के संरक्षण एवं संवर्धन के सम्बन्ध में तत्काल आवश्यक कार्यवाही की जाये। उन्होने निर्देशित किया कि किसी भी दशा में गोवंश सड़क/मार्गो सार्वजनिक स्थानों या खेतों में विचरण करते हुये न पाये जाये। इसके संरक्षण हेतु अवशेष गोवंशों को जनपद में स्थापित/संचालित स्थायी गोआश्रय स्थलों, वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों एवं कान्हा गो आश्रय स्थलों में संरक्षित किया जाये। आश्रय स्थलों पर केयर-टेकर/चौकीदार रात्रि में अवश्य निवास करें। आश्रय स्थलों में आवश्यक भूसा, पीने का स्वच्छ पानी, हरे चारे, साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था करायी जाये तथा यह भी सुनिश्चित किया जाये कि बाउन्ड्रीवाल टूटी न हो और पशु शेड में कीचड़ व जलभराव न हो इसके लिये पराली का उपयोग किया जा सकता है। समस्त खण्ड विकास अधिकारियों को पूर्व में निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक सप्ताह एक-एक गो आश्रय स्थल प्रत्येक विकास खण्ड में शुरू किया जाये तथा इसके अतिरिक्त जनपद के एक विकास खण्ड मंगरौरा में मदाफरपुर बन्द/असंचालित गो आश्रय स्थल को पुनः संचालित किया जाये परन्तु इस सम्बन्ध में अभी तक कोई प्रगति नही हुयी है। उन्होने कहा है कि प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर भूमि का चिन्हांकन कर अस्थायी गोआश्रय स्थलों की स्थापना की जानी है। आश्रय स्थलों की स्थापना में यथास्थिति समय लगने के दृष्टिगत निराश्रित/बेसहारा गोवंशों को किसी अन्य सुरक्षित स्थल पर संरक्षित किया जा सकता है जिसकी फेन्सिग या बाउन्ड्रीवाल की उपलब्धता हो इसके क्रम में दिनांक 27 अक्टूबर तक स्थान का चयन कर उसकी सूची मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराया जाये। प्रत्येक गो-आश्रय स्थलों में स्थानीय स्तर पर तहसील स्तरीय/विकास खण्ड स्तरीय अनुश्रवण समिति आवश्यकतानुसार कैमरे लगवाने पर भी विचार कर लें, इनमें से एक कैमरा प्रवेश द्वार पर एवं दूसरा कैमरा ऐसी लोकेशन पर लगाया जाये जिससे काउशेड का अधिकतम भाग आच्छादित हो सके।
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