कौशाम्बी। करारी की ऐतिहासिक 13 दिवसीय रामलीला के चौथे दिन रविवार की रात रामलीला मे बुंदेलखंड से आए कलाकारों ने रावण-बाणासुर संग्राम का शानदार मंचन किया। मिथिला के राजा जनक के आमंत्रण पर राम- लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ राजा जनक के यहां सीता स्वयंवर में पहुंचते हैं। राम, लक्ष्मण के सौंदर्य को देख वहां सभी मोहित हो जाते हैं। इसी बीच लंकापति रावण बिना आमंत्रण सीता स्वयंवर में पहुंचता है। यह देखकर सभापति बाणासुर रावण का परिचय पूछते हैं।बाणासुर के रावण से परिचय पूछते ही वह क्रोध से तमतमा उठता है और फिर यहीं से रावण और बाणासुर का संवाद शुरू होता है। लंकापति रावण सीता स्वयंवर के लिए आमंत्रण न मिलने पर राजा जनक पर क्रोधित होता। निमंत्रण न दिए जाने का कारण पूछता है। जनक कहते हैं कि समुंदर पार लंका जाना संभव नहीं था। इसीलिए निमंत्रण नहीं भेज सके। तो रावण और क्रोधित हो जाता है और कहता है कि अगर आप ने समुद्र में एक पत्र भी डाल दिया होता तो समुंद्र में इतना साहस नहीं होता कि हम तक वह न पहुंचा देता। उसके पश्चात सीता स्वयंवर में आये रावण सहित तमाम राजाओं ने धनुष तोड़ने की पूरी कोशिश की, पर वह हिला तक ना सके। राजा जनक की चिता बढ़ जाती है।इस मौके पर विनोद चौधरी,जियालाल सरोज,ज्ञान सिंह कुशवाहा,पवन शर्मा,पप्पी केशरवानी,सुशील मोदनवाल आदि सैकड़ो की संख्या मे रामभक्त उपस्थित रहे।
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