नई दिल्ली। पहलवान सुशील कुमार को झटका लगा है। दिल्ली की एक अदालत ने सुशील कुमार की जेल के अंदर सप्लिमेंट्स और हाई प्रोटीन डाइट दिलाए जाने की मांग को खारिज कर दिया है। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए समानता के अधिकार को संविधान का मूल तत्व बताया और कहा कि आवेदन में मांग के लिए कोई ठोस वैधानिक आधार नहीं दिया गया है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट सतवीर सिंह लांबा ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक की ओर से दायर अर्जी में कहा गया कि वह अपने करियर को आगे भी जारी रखना चाहता है। साथ ही दावा किया कि सप्लिमेंट और हाई प्रोटीन डाइट उसकी शारीरिक मजबूती और फिजिक के लिए जरूरी है। सुशील का आवेदन ठुकराए जाने के पीछे अदालत ने और भी कई तर्क दिए। जैसे-वह यह तो कह रहे हैं कि उन्हें कुश्ती में अपने करियर को आगे बढ़ाना है पर यह नहीं बताया कि ऐसी कौन सी प्रतियोगिताएं हैं जिसके लिए उनका चयन हुआ है। वहीं जेल प्रशासन के अनुसार सभी आरोपियों को जेल के नियमों के मुताबिक ही भोजन दिया जाता है और इसमें बिना किसी भेदभाव के सुशील को भी संतुलित और हेल्दी डाइट दी जा रहीं है।
इसके साथ ही कहा कि दिल्ली प्रीजन रूल्स, 2018 के तहत एक व्यक्ति के लिए रोजाना जरूरी पोषक तत्वों, उसकी मात्रा और प्रोटीन के समान स्रोतों का ख्याल रखा गया है। अदालत ने पाया कि पहलवान ने आहार में किसी तरह की कमी का भी कोई दावा नहीं किया है, जिसका मतलब है कि उसे संतुलित और स्वास्थ्यवर्धक भोजन दिया जा रहा है। मेडिकल रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा, जिसके मुताबिक कुमार को ऐसी कोई बीमारी भी नहीं जिसके लिए उन्हें फूड सप्लिमेंट और खास भोजन की जरूरत पड़े। वहीं सुशील के वकील ने अपनी अपनी याचिका में तर्क दिया था कि पहलवान मल्टीविटामिन आदि सप्लिमेंट लेते हैं। इन जरूरी चीजों को नहीं देने से खिलाड़ी के करियर पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि खास पोषण आहार और सप्लिमेंट उनकी सेहत और प्रदर्शन को बनाए रखने के लिहाज से बेहद जरूरी है।