काबुल । अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के समर्थक पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी गुरुवार को एक दिवसीय दौरे पर राजधानी काबुल पहुंचे थे। उन्होंने तालिबानी नेताओं से मुलाकात की और अफगानिस्तान को 5 अरब रुपए की मानवीय सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने तालिबान के लिए इस सहायता राशि की घोषणा ऐसे समय पर की है जब पाकिस्तान खुद कंगाली की कगार पर है। तालिबान के साथ दोस्ती को लेकर अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान पर एक बार फिर निशाना साधा है। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, ‘1947 के बाद से पहली बार पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने अफगान वीजा या पासपोर्ट पर मंजूरी के बिना अफगानिस्तान की यात्रा की है। साथ ही पहली बार काबुल में बैठे एक कथित प्रधानमंत्री के पास कोई सीवी नहीं है और वह एकदम चुप है।’ सालेह ने लिखा, ‘अरब’ शब्द का इस्तेमाल करके रुपए में सहायता की घोषणा का मकसद अनपढ़ जनता को लुभाना था। पाकिस्तान की ओर से स्थापित एक शासन को सब्सिडी देना स्थायी नहीं है।’सालेह लगातार आरोप लगा रहे हैं कि काबुल पर तालिबान के कब्जे की साजिश पाकिस्तान ने रची है। शुक्रवार को ट्विटर पर 49 दिन बाद वापसी करते हुए उन्होंने पाकिस्तान पर ताबड़तोड़ हमला बोला। आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे के ढाई महीने बाद क्या-क्या बदल चुका है। सालेह ने कहा, ‘अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान उसे निगल नहीं सकता। यह सिर्फ समय की बात है। आत्मसम्मान और व्यवसायों को समाप्त होने से बचाने के लिए हर पहलू पर प्रतिरोध ही एक रास्ता है। समय के साथ अफगानिस्तान एक बार फिर खड़ा हो उठेगा।’ सालेह ने लिखा, ‘अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे के ढाई महीने बाद क्या-क्या बदल चुका है; जीडीपी लगभग 30 फीसदी गिर चुकी है, गरीबी का स्तर 90 फीसदी है, शरिया के नाम पर महिलाओं को गुलाम बनाया जा रहा है, सिविल सेवाएं ठप्प हो चुकी हैं, प्रेस/मीडिया/अभिव्यक्ति की आजादी पर बैन लग चुका है, शहरी मध्यम वर्ग जा चुकी है, बैंक बंद चुके हैं।’ उन्होंने बताया, ‘अफगानिस्तान की कूटनीति के केंद्र दोहा बन चुका है, अफगानिस्तान के विदेशी और रक्षा फैसले पाकिस्तान सेना के मुख्यालय में लिए जाते हैं, एनजीओ शासन से ज्यादा शक्तिशाली हो चुके हैं, हक्कानी ने आतंकियों को ट्रेनिंग देकर ऑफिस में बिठा दिया है।’
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