इस्लामाबाद । कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को पनाह दे रहे पाकिस्तान को वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था फाइनेंशल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने बड़ा झटका दिया है। एफएटीएफ ने न केवल पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है, बल्कि उसके गुरु तुर्की को भी आतंकियों को पालने के आरोप में ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। इससे पहले पाकिस्तान बार-बार तुर्की की मदद से ब्लैक लिस्ट होने से बच रहा था और अब खुद तुर्की ही एफएटीएफ के लपेटे में आ गया है। पाकिस्तान और तुर्की के खिलाफ इस ऐक्शन से भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है जो आतंकी हमलों से जूझ रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान के इस आरोप का भी खंडन किया है कि उसने भारत के दबाव में आकर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान को गंभीरतापूर्वक यह दिखाने की जरूरत है कि प्रतिबंधित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ जांच और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ठोस तरीके से चल रही है। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ एक तकनीकी निकाय है और हम अपना फैसला आम सहमति से लेते हैं।प्लेयर के इस बयान के बाद भारत के खिलाफ पाकिस्तानी दावे की हवा निकल गई। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान तब तक इस सूची में शामिल रहेगा जब तक कि वह साबित नहीं कर देता कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 34 एक्शन प्वाइंट में से 30 को पूरा कर दिया है। इससे पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने का सवाल नहीं उठता है। पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में रखा था। उसे अक्टूबर, 2019 तक पूरा करने के लिए कार्य योजना सौंपी गई थी। लेकिन उसे पूरा करने में विफल रहने के कारण वह एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है। ऑनलाइन बैठक में इस वैश्विक नेटवर्क के 205 सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा संयुक्त राष्ट्र सहित कई पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया। तुर्की पर आरोप है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा दे रहा है और आतंकियों का वित्तपोषण कर रहा है।पाकिस्तान और तुर्की दोनों ही भारत के खिलाफ वैश्विक मंचों पर जहर उगलते रहे हैं। भारत सरकार के एक सूत्र ने पिछले दिनों कहा था कि हमारे पास सबूत है कि किस तरह से तुर्की पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत विरोधी भावनाओं को भड़का रहा है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट यह साबित कर देगी कि वे किसी तरह से अवैध गतिविधियों में शामिल होकर विश्व को अव्यवस्थित करना चाहते हैं। एफएटीएफ के इस कदम से दोनों ही देशों की नापाक जोड़ी को करारा झटका लगा है। तुर्की और पाकिस्तान के एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट में जाने से उनकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। तुर्की को पाकिस्तान की तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे तुर्की की हालत और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी तुर्की को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है, क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है। वह भी तब जब तुर्की में वर्तमान राष्ट्रपति एर्दोगान के शासन काल में विदेशी निवेश पहले ही रसातल में पहुंच गया है।उधर, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियेपन की कगार पर है और ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर उसकी इकॉनमी को और नुकसान होगा। इसकी वजह से उसे आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। इससे जाहिर है उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। पाकिस्तान को अगले दो साल में अरबों डॉलर के लोन की सख्त जरूरत है। अगर लोन नहीं मिलता है तो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था बैठ जाएगी। इमरान खान ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलवाएंगे लेकिन यह वादा खोखला साबित हुआ। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाल दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, एफएटीएफ आतंकवाद के लिए फंडिंग पर नजर रखता है और आतंकवाद का समर्थन करने वाले काले धन से निपटता है। हमारी वजह से पाकिस्तान एफएटीएफ की नजरों में है और उसे ग्रे लिस्ट में रखा गया है। हम पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सफल रहे हैं और तथ्य यह है कि पाकिस्तान का व्यवहार बदल गया है क्योंकि भारत की ओर से कई प्रकार से दबाव डाला गया है।
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