वॉशिंगटन । अमेरिका के स्पेस संस्थान नासा ने चंद्रमा पर इंटरनेट की परेशानी से निजात पाने के लिए वां वाई-फाई नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी कर ली है। एक हालिया अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। इससे अमेरिका के कुछ हिस्सों में इंटरनेट असुविधा को दूर करने और भविष्य के आर्टेमिस मिशनों में सहयोग की कोशिश की जाएगी। नासा के ग्लेन रिसर्च सेंटर में डायरेक्टर मैरी लोबो ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि यह आर्टेमिस के तहत चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में आने वाली चुनौतियों और हमारे समाज में बढ़ती समस्याओं का समाधान विकसित करने का एक शानदार मौका है।पिछले साल आर्टेमिस प्रोग्राम पर से पर्दा हटाया गया था। इसका मिशन 1972 के बाद से पहली बार मानव को चंद्रमा पर भेजना है। इसकी योजना 2021 में चंद्रमा पर एक मानवरहित मिशन को लॉन्च करने, 2023 में चंद्रमा के करीब चालक दल को भेजने और 2024 में मानव को चंद्रमा पर उतारने की है। वाई-फाई प्रोग्राम को लेकर हालिया अध्ययन नासा की कम्पास लैब ने किया है। इन्साइडर से बात करते हुए कम्पास लैब के स्टीव ओल्सन ने कहा कि यह अध्ययन बेहद अहम है क्योंकि आर्टेमिस बेसकैंप से जुड़े क्रू, रोवर्स, विज्ञान और खनन उपकरणों को पृथ्वी से संपर्क में रहने के लिए एक बेहतर कनेक्शन की जरूरत होगी।नासा ने प्रेस रिलीज में बताया कि डिजिटल असमानता और बेहतर इंटरनेट सेवा तक पहुंच की कमी पूरे अमेरिका में फैली एक सामाजिक आर्थिक चिंता है जो कोविड-19 महामारी से और बुरी स्थिति में पहुंच गई है। नेशनल डिजिटल इनक्लूजन एलायंस की एक रिपोर्ट के अनुसार क्लीवलैंड के लगभग 31 फीसदी घरों में ब्रॉडबैंड की सुविधा नहीं है। इससे पहले खबर आई थी कि नासा चांद को लेकर अपने अगले ‘मून मिशन’ शुरुआत करने जा रहा है। इस मिशन का लक्ष्य चांद की सतह पर एक स्थायी क्रू स्टेशन का निर्माण करना है। इसके लिए किसी अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजने से पहले एजेंसी चंद्रमा के ठंडे, छायादार दक्षिणी ध्रुव पर गोल्फ-कोर्ट के आकार का एक रोबोट लॉन्च कर रही है। इस रोवर का नाम वाइपर यानी वोलाइट्स इनवेस्टिंग पोलर एक्सपोलरेशन रोवर होगा। यह रोवर चंद्रमा की सतह पर जल स्रोतों की खोज में 100 दिन बिताएगा। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से जुड़ा पहला सर्वे होगा।
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